मनसा सेवा के अभ्यास की आवश्यकता/लक्ष्य एवं उद्देश्य:-
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➊ स्वयं को, सेवा-साथियों को , सेवा-स्थानों को और बेहद के वातावरण, वायुमंडल को शक्तिशाली और निर्विघ्न बनाने के लिए :-
❂1】अभी तो वाणी से बदलने का कार्य चल रहा है; अभी वृत्ति द्वारा वृत्तियां बदले , संकल्प द्वारा संकल्प बदल जाएँ। अभी यह रिसर्च तो शुरू भी नहीं की है, थोड़ा-थोड़ा किया तो क्या हुआ? यह सूक्ष्म सेवा स्वतः ही कई कमजोरियों से पार कर देगी। जो समझते हैं कि यह कैसे होगा ? वह जब इस सेवा में बिज़ी रहेंगे तो स्वतः ही वायुमंडल ऐसा बनेगा जो अपनी कमजोरियां स्वयं को ही स्पष्ट अनुभव होंगी और वायुमंडल के कारण स्वयं ही शर्मसार हो परिवर्तन हो जाएंगे , कहना नहीं पड़ेगा, कहने से तो देख लिया इसलिए अभी ऐसा प्लान बनाओ। जिज्ञासु और ज्यादा बढ़ेंगे इसकी चिंता नहीं करो, मदोगरी ( आर्थिक संपन्नता) भी बहुत बढेगी इसकी भी चिंता नहीं करो, मकान भी मिल जाएंगे इसकी भी चिंता नहीं करो सब सिद्धि हो जाएगी। यह विधि ऐसी है जो सिद्धि स्वरूप बन जाएंगे। (18.01.86)
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मनसा सेवा अर्थात याद में रहकर सेवा। (24.10.81)
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ॐ शांति
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